Saturday, September 13, 2014

कुर्बतों मे भी जुदाई के ज़माने मांगे

कुर्बतों मे भी जुदाई के ज़माने मांगे,
दिल वो बीमार की रोने के बहाने मांगे.

अपना ये हाल के ज़ी हार चूके लूट भी चूके,
और मुहब्बत वही अंदाज पुराने मांगे.

हम ना होते तो किसी और के चर्चे होते,
खलकते-शहर तो कहने को फ़साने मांगे.

दिल किसी हाल पे माने ही नहीं ज़ाने-फ़राज’,
मिल गये तुम भी तो क्या और ना ज़ाने मांगे.
-अहमद फ़राज

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Just got inspired by Pratul sir and created my own blog. Quite a medium to express urself.