Monday, September 1, 2014

डब-डबा आई वो आँखे जो मेरा नाम आया

डब-डबा आई वो आँखे जो मेरा नाम आया,
इश्क़ नाकाम सही फिर भी बहुत काम आया.

लज्ज़ते-मर्ग़े-मुहब्बत कोई उस से पूछे,
जिसके लब़ पर दमे-आख़िर भी तेरा नाम आया.

ज़िंदगी तेरे तसव्वुर से अलग रह ना सकी,
नग़मा कोई हो पर साज़ यही काम आया.

हमपे ऐसी भी ग़मे-इश्क में रातें गुज़रीं,
जब तक आंसू ना बहें दिल को ना आराम आया.
- तस्क़ीन कुरैशी

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