Monday, September 1, 2014

रस्मे-उल्फ़त सिखा गया कोई

रस्मे-उल्फ़त सिखा गया कोई,
दिल की दुनिया पे छा गया कोई.

ता-कयामत किसी तरह ना बुझे,
आग ऐसी लगा गया कोई.

दिल की दुनिया उजाड़ सी क्यूँ है,
क्या यहाँ से चला गया कोई.

वक्ते-रुख़सत गले लगा कर 'दाग़',
हंसते-हंसते रुला गया कोई.

- दाग़ देहलवी

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Just got inspired by Pratul sir and created my own blog. Quite a medium to express urself.