Monday, September 1, 2014

उस ने सुकूते-शब़ में भी अपना पयाम रख दिया

उस ने सुकूते-शब़ में भी अपना पयाम रख दिया,
हिज्र की रात बाम पर माहे-तमाम रख दिया.

आमदे-दोस्त की नाविद कूए-वफा में आम थी,
मैंने भी इक चिराग-सा दिल सरे-शाम रख दिया.

देखो ये मेरे ख्वाब थे देखो ये मेरे जख्म हैं,
मैने तो सब हिसाबे-ज़ान बर-सरे-आम रख दिया.

उस ने नजर नजर मे ही ऐसे भले सुखन कहे,
मैने तो उस के पाँवो में सारा कलाम रख दिया.

शिद्दते-तिश्नगी मे भी गैरते-मैक़शी रही,
उस ने जो फेर ली नज़र मैने भी ज़ाम रख दिया.

और फ़राज चाहिए कितनी मुहब्बतें तुझे,
के माँओ ने तेरे नाम पर बच्चों का नाम रख दिया.

-अहमद फ़राज

No comments:

Welcome to My blog

Just got inspired by Pratul sir and created my own blog. Quite a medium to express urself.