जितने अपने थे, सब पराये थे,
हम हवा को गले लगाए थे.
जितनी कसमे थी, सब थी शर्मिंदा,
जितने वादे थे, सर झुकाये थे.
जितने आंसू थे, सब थे बेगाने,
जितने मेहमां थे, बिन बुलाए थे.
सब किताबें पढ़ी-पढ़ाई थीं,
सारे किस्से सुने-सुनाए थे.
एक बंजर जमीं के सीने में,
मैने कुछ आसमां उगाए थे.
सिर्फ दो घूंट प्यास कि खातिर,
उम्र भर धूप मे नहाए थे.
हाशिए पर खड़े हूए है हम,
हमने खुद हाशिए बनाए थे.
मैं अकेला उदास बैठा था,
सामने कहकहे लगाए थे.
है गलत उसको बेवफा कहना,
हम कौन सा धुले-धुलाए थे.
आज कांटो भरा मुकद्दर है,
हमने गुल भी बहुत खिलाए थे.
- डॉ राहत इंदौरी
हम हवा को गले लगाए थे.
जितनी कसमे थी, सब थी शर्मिंदा,
जितने वादे थे, सर झुकाये थे.
जितने आंसू थे, सब थे बेगाने,
जितने मेहमां थे, बिन बुलाए थे.
सब किताबें पढ़ी-पढ़ाई थीं,
सारे किस्से सुने-सुनाए थे.
एक बंजर जमीं के सीने में,
मैने कुछ आसमां उगाए थे.
सिर्फ दो घूंट प्यास कि खातिर,
उम्र भर धूप मे नहाए थे.
हाशिए पर खड़े हूए है हम,
हमने खुद हाशिए बनाए थे.
मैं अकेला उदास बैठा था,
सामने कहकहे लगाए थे.
है गलत उसको बेवफा कहना,
हम कौन सा धुले-धुलाए थे.
आज कांटो भरा मुकद्दर है,
हमने गुल भी बहुत खिलाए थे.
- डॉ राहत इंदौरी
6 comments:
This applies at me completely
Nice
Awesome sir
Bahut sahi rahat Bhai
You Will remain Alive ,
Always and Forever
Mai akela udaas baitha tha.
Shaam me kahkahe lagate the.
Samne *
Shaam ne
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